कोरोना वायरस के कारण किसी मरीज की मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को क्लेम देने से कोई भी इंश्योरेंस कंपनी मना नहीं कर सकती. जीवन बीमा कंपनियों के संगठन लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल ने सोमवार को यह बात साफ की है.
यानी कोरोना वायरस से अगर किसी पॉलिसी होल्डर की मौत होती है तो नॉमिनी को डेथ बेनिफिट के तौर पर सम एश्योर्ड यानी बिमित राशि मिलेगी. जब इंश्योर्ड यानी बीमित व्यक्ति की मौत होती है तब डेथ बेनिफिट नॉमिनी को मिलते हैं. इसके लिए नॉमिनी को क्लेम फाइल करना पड़ता है.
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क्या कहा काउंसिल ने
काउंसिल ने कहा कि सभी बीमा कंपनियां कोविड-19 के चलते हुई मौतों के सिलसिले में क्लेम यानी दावों का निपटान करने के लिए बाध्य हैं. काउंसिल ने एक बयान में कहा कि सार्वजनिक और निजी, दोनों तरह की जीवन बीमा कंपनियां कोविड-19 से संबंधित किसी भी मौत पर क्लेम के निपटान के लिए बाध्य हैं.
इस बारे में चल रही थीं चर्चाएं
गौरतलब है कि इस बारे में कई तरह की अफवाहें और चर्चाएं चल रही थीं कि कोरोना वायरस से अगर किसी की मौत हुई तो उसके परिजनों के बीमा क्लेम को बीमा कंपनियां खारिज कर सकती हैं, क्योंकि कोविड 19 बिल्कुल नई महामारी है और इसकी पॉलिसी में कोई चर्चा नहीं थी. लेकिन जीवन बीमा काउंसिल ने अब इसे स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी कंपनी ऐसे क्लेम को निपटाने से मना नहीं कर सकती.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जीवन बीमा काउंसिल के महासचिव एस एन भट्टाचार्य ने कहा, 'कोविड-19 महामारी के वैश्विक और स्थानीय स्तर पर बढ़ते प्रकोप से प्रत्येक घर में जीवन बीमा की जरूरत को बल मिला है. जीवन बीमा उद्योग यह सुनिश्चित करने के लिए हर उपाय कर रहा है कि लॉकडाउन के कारण पॉलिसीधारकों को कम से कम दिक्कत हो या न हो. उन्हें डिजिटल माध्यमों के जरिए निर्बाध रूप से सहायता मिले, फिर चाहे वह कोविड-19 से संबंधित मौत के क्लेम का निपटान हो या पॉलिसी से संबंधित कोई दूसरी सेवा. इस कठिन समय में जीवन बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों के साथ हैं और ग्राहकों को अफवाहों से प्रभावित नहीं होना चाहिए.
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